रविवार, 12 अप्रैल 2009

कवि की कलाकारी


वरिष्ठ कवि
श्री चंद्रकांत देवताले
की दो
पेंटिंग यहाँ


गुरुवार, 9 अप्रैल 2009

नवगीतकार नईम का जाना दुखी कर गया .

नवगीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर , गज़लकार एवं काष्ठशिल्पी नईम लंबे समय से बीमार थे । वे इंदौर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान आज दिनांक ९.०४.२००९ को इस दुनिया में नहीं रहे । वे देवास में रहे । देवास को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया । हिन्दी साहित्य में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा । वे आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन उनका लेखन हमेशा हमारे बीच उन्हें मौजूद रखेगा । उन्हें हम सभी साहित्यिक साथियों की और से विनम्र अश्रुपूरित श्रद्धांजलि पेश है । उन्हें दिनांक १०.०४.२००९ शुक्रवार को सुबह ११ बजे अन्तिम बिदाई दी जायेगी ।
श्रद्धांजलि देते हुए उनका एक गीत प्रस्तुत है।

नवगीत


खाली हाथ लिए आया था
खाली ही दिन चला गया ।

वो क्या आया, हम ही बस यूँ ही आये थे
भीतर से आधे बाहर से किंतु सवाये थे
फंसा निरर्थकता के पाटों में
अपने हाथों दला गया ।

राजी नहीं हुआ भरने को अपना ही मन,
हुआ माटिया हाथ लगाये सोने सा धन
अपना भाड़ न फोड़ सका
औरों के हाथों तला गया ।

चले गए यूँ ही दिन खाली चले गए खाली,
उतर गई बालों की स्याही, चेहरे की लाली
बिना बुलाये आया था जो
बिना रुके ही भला गया ।