tag:blogger.com,1999:blog-6440988627931873089.post8561034715146571524..comments2023-05-19T04:41:52.795-07:00Comments on main santur nahin bajata: अनुज लुगुन की कविताBahadur Patelhttp://www.blogger.com/profile/13259752722633307367noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6440988627931873089.post-82432294709306145942010-10-06T05:34:22.945-07:002010-10-06T05:34:22.945-07:00बहुत सुन्दर गहरी संवेदना को उकेरती रचना....
बहुत ...बहुत सुन्दर गहरी संवेदना को उकेरती रचना....<br /> बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर ...हार्दिक शुभकामनाएँकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6440988627931873089.post-22652038179825103372010-08-23T18:06:11.621-07:002010-08-23T18:06:11.621-07:00बहुत उम्दा!
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.बहुत उम्दा!<br /><br />रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6440988627931873089.post-10096715530261174622010-08-23T11:38:58.050-07:002010-08-23T11:38:58.050-07:00बहुत सुंदर जी, आप की कविता से सहमत है, धन्यवाद इस ...बहुत सुंदर जी, आप की कविता से सहमत है, धन्यवाद इस सुंदर कविता के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6440988627931873089.post-59790359726821349932010-08-23T11:34:01.144-07:002010-08-23T11:34:01.144-07:00वे जानते हैं जंगली जड़ी-बूटियों से
अपना इलाज करना
व...<b>वे जानते हैं जंगली जड़ी-बूटियों से<br />अपना इलाज करना<br />वे जानते हैं जंतुओं की हरकतों से<br />मौसम का मिजाज समझना<br />सारे पेड़-पौधे , पर्वत-पहाड़<br />नदी-झरने जानते हैं<br />कि वे कौन हैं । </b><br />सटीक रचना .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6440988627931873089.post-75586920890326840362010-08-23T10:12:20.564-07:002010-08-23T10:12:20.564-07:00वे जो नंगे पैर
चुपचाप चले जाते हैं जंगली पगडंडियों...वे जो नंगे पैर<br />चुपचाप चले जाते हैं जंगली पगडंडियों में<br />कभी नहीं कहते कि<br />हम आदिवासी हैं<br />वे जानते हैं जंगली जड़ी-बूटियों से<br />अपना इलाज करना<br />वे जानते हैं जंतुओं की हरकतों से<br />मौसम का मिजाज समझना<br />सारे पेड़-पौधे , पर्वत-पहाड़<br />नदी-झरने जानते हैं<br />कि वे कौन हैं । <br /><br />क्या बात है !! क्या अंदाज़ है !बहुत खूब !<br /><br />रक्षाबंधन की ह्र्दयंगत शुभ कामनाएं !<br /><br />समय हो तो अवश्य पढ़ें:<br />यानी जब तक जिएंगे यहीं रहेंगे !http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.htmlشہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.com