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वरिष्ठ कवि
श्री चंद्रकांत देवताले
की दो
पेंटिंग यहाँ
नवगीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर , गज़लकार एवं काष्ठशिल्पी नईम लंबे समय से बीमार थे । वे इंदौर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान आज दिनांक ९.०४.२००९ को इस दुनिया में नहीं रहे । वे देवास में रहे । देवास को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया । हिन्दी साहित्य में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा । वे आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन उनका लेखन हमेशा हमारे बीच उन्हें मौजूद रखेगा । उन्हें हम सभी साहित्यिक साथियों की और से विनम्र अश्रुपूरित श्रद्धांजलि पेश है । उन्हें दिनांक १०.०४.२००९ शुक्रवार को सुबह ११ बजे अन्तिम बिदाई दी जायेगी । श्रद्धांजलि देते हुए उनका एक गीत प्रस्तुत है। नवगीत खाली हाथ लिए आया था खाली ही दिन चला गया । वो क्या आया, हम ही बस यूँ ही आये थे भीतर से आधे बाहर से किंतु सवाये थे फंसा निरर्थकता के पाटों में अपने हाथों दला गया । राजी नहीं हुआ भरने को अपना ही मन, हुआ माटिया हाथ लगाये सोने सा धन अपना भाड़ न फोड़ सका औरों के हाथों तला गया । चले गए यूँ ही दिन खाली चले गए खाली,उतर गई बालों की स्याही, चेहरे की लाली बिना बुलाये आया था जो बिना रुके ही भला गया ।