प्रदीप मिश्र की कविताऍं
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*तप रहा है सूरज*
सीने में सक्रिय हो गईं हैं
असंख्य परमाणु भट्टियाँ
जिनमें विरह
ईंधन की जगह है
आग बबूला हो रहा है
गर्मी का सूरज
मही...
4 हफ़्ते पहले
