विपिन चौधरी की कविताऍं
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एक
*अदृश्य को दृश्य*
सारी उपस्थितियां,
अपनी पसंद के फ़ूलों में
सारी कामनाएं,
अपनी अभिरुचि की धुनों में
तब्दील हो गईं
बाकी जो कुछ भी...
4 हफ़्ते पहले
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