जन्म : ११ नव१९२९ जर्मनी। १९६५-१९६६ के दौरान भारत यात्रा पर आये थे। अनुवाद: सुरेश सलिल
रांडो
बात करना आसान है
लेकिन शब्द खाए नहीं जा सकते
सो रोटी पकाओ
रोटी पकाना मुश्किल है
सो नानबाई बन जाओ
लेकिन रोटी में रहा नहीं जा सकता
सो घर बनाओ
घर बनाना मुश्किल है
सो राज-मिस्त्री बन जाओ
लेकिन घर पहाड़ पर नहीं बनाया जा सकता
सो पहाड़ खिसकाओ
पहाड़ खिसकाना मुश्किल है
सो पैगम्बर बन जाओ
लेकिन विचार को तुम बर्दाश्त नहीं कर सकते
सो बात करो
बात करना मुश्किल है
सो वह हो जाओ जो हो
और अपने आप में कुड्बुदाते रहो ।
पेर लागरकविस्त की कविताऍं
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*अनुवाद: सरिता शर्मा*
स्वीडन के प्रसिद्ध कवि उपन्यासकार और नाटककार पेर लागरकविस्त का जन्म 1891
में हुआ था। उनके उपन्यास दि डार्फ, बराब्बस और हैंगमैन ...
3 दिन पहले
8 टिप्पणियां:
लेकिन विचार को तुम बर्दाश्त नहीं कर सकते
सो बात करो
बात करना मुश्किल है
सो वह हो जाओ जो हो
और अपने आप में कुड्बुदाते रहो ।
... अच्छी रचना है, आपके सहेजने से एक नई रचना पढने मिली, प्रयास जारी रखें।
entsebargar mera bhi priya kavi hai.
achi kavita hai badhai.
mere blog ka bhi link do bhai!!!!!
bahut achchhi kavita hai.
mahendra chouhan
Ek achchi rachna prastut karne ke liye badhai.
बहुत बढ़िया ..
लेकिन विचार को तुम बर्दाश्त नहीं कर सकते
सो बात करो
बात करना मुश्किल है
सो वह हो जाओ जो हो
और अपने आप में कुड्बुदाते रहो ।
कुछ कहने को छोडा ही नहीं
achhi post hai...
बहुत शानदार रचना...
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