lo ab chandrakant devatale ki ek achchhi kavita bhi yahan padho.
अंतिम प्रेम
हर कुछ कभी न कभी सुन्दर हो जाता है
बसन्त और हमारे बीच अब बेमाप फासला है
तुम पतझड़ के उस पेड़ की तरह सुन्दर हो जो बिना पछतावे के पत्तियों को विदा कर चुका है
थकी हुई और पस्त चीजों के बीच पानी की आवाज जिस विकलता के साथ जीवन की याद दिलाती है तुम इसी आवाज और इसी याद की तरह मुझे उत्तेजित कर देती हो
जैसे कभी- कभी मरने के ठीक पहले या मरने के तुरन्त बाद कोई अन्तिम प्रेम के लिए तैयार खड़ा हो जाता है मैं इस उजाड़ में इसी तरह खड़ा हूँ मेरे शब्द मेरा साथ नहीं दे पा रहे और तुम सूखे पेड़ की तरह सुन्दर मेरे इस जनम का अंतिम प्रेम हो।
आदरणीय चन्द्रकांत देवताले जी हिंदी के मुर्धन्य कवि हैं। मैंने इनकी कविताओं के अतिरिक्त इनकी संपादित पुस्तक ‘डबरे पर सूरज का बिंब’( मुक्तिबोध का गद्यांश) पढ़ी है। यहां पेन्टिंग भी काफ़ी भावपूर्ण हैं।-सुशील कुमार।
बहुत ही खुबसूरत....... एक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।
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कविता
मैने सोचा मै भी लिखू कविता।
पहले खाकर एक पपीता ॥
फिर मै बन जाऊंगा कवि।
ऐसा कहता है रोज सुबह रवि॥
इतनी चले मेरी कविता संसार में
कविता लिखू मै कवि ...
8 टिप्पणियां:
सुन्दर पेंटिंग हैं दोनों
lo ab chandrakant devatale ki ek achchhi kavita bhi yahan padho.
अंतिम प्रेम
हर कुछ कभी न कभी सुन्दर हो जाता है
बसन्त और हमारे बीच अब बेमाप फासला है
तुम पतझड़ के उस पेड़ की तरह सुन्दर हो
जो बिना पछतावे के
पत्तियों को विदा कर चुका है
थकी हुई और पस्त चीजों के बीच
पानी की आवाज जिस विकलता के साथ
जीवन की याद दिलाती है
तुम इसी आवाज और इसी याद की तरह
मुझे उत्तेजित कर देती हो
जैसे कभी- कभी मरने के ठीक पहले या मरने के तुरन्त बाद
कोई अन्तिम प्रेम के लिए तैयार खड़ा हो जाता है
मैं इस उजाड़ में इसी तरह खड़ा हूँ
मेरे शब्द मेरा साथ नहीं दे पा रहे
और तुम सूखे पेड़ की तरह सुन्दर
मेरे इस जनम का अंतिम प्रेम हो।
rajesh karpentar
सुन्दर....
सुन्दर....
आदरणीय चन्द्रकांत देवताले जी हिंदी के मुर्धन्य कवि हैं। मैंने इनकी कविताओं के अतिरिक्त इनकी संपादित पुस्तक ‘डबरे पर सूरज का बिंब’( मुक्तिबोध का गद्यांश) पढ़ी है। यहां पेन्टिंग भी काफ़ी भावपूर्ण हैं।-सुशील कुमार।
kavitaon si hi abhivyanjnao vaali paintings.
devtale ji ke is roop se parichit karane ke liye aabhar!!
बहुत ही खुबसूरत.......
एक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।
Dono hi paintings achchi hain.
Aapne "genhoon ki balee"
par bahut dino se kuch post nahin kiya?
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