विमल चन्द्र पाण्डेय की नई कविता
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विमल युवा पीढ़ी के सबसे चर्चित कहानीकारों में से हैं. लेकिन कविताएँ भी
उन्होंने लगातार लिखी हैं. असुविधा पर ही आप उनकी एक लम्बी कविता पढ़ चुके
हैं. इन कवि...
मुनिया की दुनिया - स्वरांगी साने
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तत्सम पर इस बार मुनिया की दुनिया ...........
*प्रदीप कान्त*
इसकी असली रचयिता है मुनिया की माया… कोशिश केवल उसे शब्द देने वाली हमारी छाया
...
(मुनिया छायाचि...
मेरी हँसी में मेरे पिता की हँसी शामिल है।
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एक सवाल की तरह और फिर एक विवाद की तरह।
कुछ चीजें हमेशा, ही संवाद में बनी रहती हैं।
ये उन अमर प्रश्नों की तरह हैं जिनके उत्तर भी उतने ही शाश्वत हैं। जिनस...
सबद पर दस नई कविताएं
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दस नई कविताएं *सबद* पर प्रकाशित हुई हैं. उनमें से एक नीचे है.
सारी कविताओं को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
*व्युत्पत्तिशास्त्र*
एक था चकवा. एक थी...
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*भारतीय विज्ञान के आधुनिक युगपुरूष – अब्दुल कलाम*
अब्दूल कलाम का पूरा नाम 'डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम' है।
इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को...
Mohalla Live
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Mohalla Live
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गाली-मुक्त सिनेमा में आ पाएगा पूरा समाज?
Posted: 24 Jan 2015 12:35 AM PST
सिनेमा समाज की कहानी कहता है और...
उत्तर वनवास का दूसरा संस्करण
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*मित्रो, एक छोटी-सी सूचना साझा करना चाहता हूं। अभी थोड़ी देर पहले मेरे
मित्र, प्रकाशक देश निर्मोही का फोन आया कि उत्तर वनवास का दूसरा संस्करण
प्रकाशित ह...
अदम जी मुझे लौकी नाथ कहते थे
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जयपुर में अदम जी मंच संचालन कर रहे थे। मुझे कविता पढ़ने बुलाने के पहले एक
किस्सा सुनाया। किसी नगर में एक बड़े ज्ञानी महात्मा थे। उनका एक शिष्य था नाम
था...
रुकी हुई रेल
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*हिलते पर्दे से छनकर रौशनी आती है , शीशे के बोल में अरालिया की एक लतर ,
किताबों की टांड में एक ग्रॉसमन , रिल्के की ना समझी कोई कविता की एक अदद
पंक्ति, चाय...
फिर मिलेंगे
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*मित्रों, एकाएक मेरा विलगाव आपलोगों को नागवार लग रहा है, किन्तु शायद आपको
यह पता नहीं है की मैं पिछले कई महीनो से जीवन के लिए मृत्यु से जूझ रही हूँ ।
अचानक...
Akhilesh ji ko patr
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27. 9. 10
प्रिय अखिलेश जी,
आपका पत्र संख्या 2, दिनांक 21. 9 10 का पत्र मिला। धन्यवाद। आपने पुस्तकें
वापिस करने वाले प्रश्न पर जवाब सोच समझकर ही दिया होगा तभ...
सुनाऊंगा कविता
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शहर के आखिरी कोने से निकालूँगा
और लौट जाऊंगा गाँव की ओर
बचाऊंगा वहां की सबसे सस्ती
और मटमैली चीजों को
मिट्टी की ख़ामोशी से चुनूंगा कुछ शब्द
बीजों के फूटे ...
मनोज कामदार की कविता
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कविता
मैने सोचा मै भी लिखू कविता।
पहले खाकर एक पपीता ॥
फिर मै बन जाऊंगा कवि।
ऐसा कहता है रोज सुबह रवि॥
इतनी चले मेरी कविता संसार में
कविता लिखू मै कवि ...
2 टिप्पणियां:
कोई नहीं
बस शब्दों का निरर्थक जाल है।
टेपेस्ट्री ओफ़ ब्यूटिफ़ुल वर्ड्स विदाऊट मीनिंग्…
बहादुर भाई आपसे कहीं बेहतर चयन की उम्मीद रहती है।
kuchh kahne ke liye samajhna zaruri hai,
samajh aaya nahi ki kaha kya gaya hai,
so achhi ya kharab kavita kahna bemaani hoga.
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