हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ
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*चट न लो फ़ैसला*
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आज शाम जाकर मिला दोस्त शिवराज से
अरसे से इधर फोन पर लगते थे नाराज़ से
दुआ-सलाम इधर-उधर की बात
कहने लगे छोड़ दिय...
2 हफ़्ते पहले